●●●■■■■■■■■■■■■■■●●● बुंद्धु बक्सा... यानी की टी. वी.... हमारा साथी.... सही कहा ना मेने.... इस समय तो सबसे बड़ा साथी बना हुआ है... पर क्या यह वास्तव में बुद्धू बक्सा है... चलिए इसी के मुंह से सुनते है....... { Read in Caption } Dr.Vishal Singh #yostowrimo #बुद्धूबक्सा #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi ●● बुंद्धु बक्सा... यानी की टी. वी.... हमारा साथी.... सही कहा ना मेने.... इस समय तो सबसे बड़ा साथी बना हुआ है... पर क्या यह वास्तव में बुद्धू बक्सा है... चलिए इसी के मुंह से सुनते है....... लवी ....ये क्या देख रहे इतने गौर से इसे..? मां ने आवाज लगाई.... में फिर से देखने लगा... मां ने फिर पूछा बताते क्य़ों नहीं हो..... रात को 2 बजे तक देखा इस बुदधू बक्से को और अब ये क्या है.. अरे माँ ... सुनो... कल रात को आप ने डांटा ना और इसको बुरा भला कहा ना.... यह रात को मेरे सपने में आ गया... आर बोला... यार मैं बुद्धू बक्सा नहीं हूँ मुझें क्या क्या कहते हो तुम.... कितना तो मनोरंजन करता हूं तुम्हारा.... सारी दुनिया की खबरें तुम तक पहुंचाता हूं... गीत.. संगीत सब तो... फिर भी😔 मैंने मां उसे टोकते हुए कहा मां कहती है तुम ना जाने क्या क्या मनोरंजन के नाम पर झूठा दिखाते हो सबको पागल बनाते हो ... फिर... फिर क्या बोला वो माॅ ने टोकते हुए कहा... उसने कहा कि मै तो वही दिखाता हूं जो तुम सब देखना चाहते हो...इस समाज का आइना दिखाता हूं... बस थोडा सा नमक मिर्च लगा देता हूॅ ... तुम सब भी तो लगाते हो.... हां हां सही है मैंने कहा.... पर एक बात बताओं.... कभी कभी कुछ चीजें ज्यादा नहीं दिखा देते हो.... समझ रहे हो ना... हद होती है ना किसी चीज को खींचने की.... मैं क्या करु तुम्हारा भी तो मन नहीं होता बार बार पढने का मुझे बन्द कर के पढ़ते हो ना... क्योंकि तुम्हें कुद्द बनना है.. पैसा कमाना है... इसी तरह जो मुझे चलाते है ना उन्हें भी तो मुझें चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता है ओर फिर तुम्हारा हाथ में तो आज रिमोट है ना दबा दिया करों... तुम को तो बस ऐसे ही लगता है ना कितना सफर तय किया है मैंने यहां तक पहुंचने में श्वेत श्याम से रंगीन , बढ़े मोटे आकार से छोटे पतले आकार तक , मेज पर रखे जाने से लेकर दीवार तक लग गया हूँ .... पहले थोड़ा बहुत दिखाता था आज में विभिन्न हिस्सों में बट गया हूँ... पर तुम्हारा यह मोबाइल है ना इसने मेरी जिन्दगी खराब कर दी है.. पर मैरी हैसियत कम मत समझो मैं ना होता तो मर्यादा ओर सत्य का उपदेश देते वाली "रामायण" ओर कर्म करने की प्रेरणा देने वाली "गीता" को घर घर कोन पहुँचाता... दुनिया की पल पल की खबर कौन देता सब से तुम्हारा परिचय करा देता हूँ ... और मैं ना होता तो यह रोज जो नया फैशन करतें हो कहाँ से सीखते .... मै हर वर्ग की आवश्यकता हूँ ... लाखों लोगों को रोजगार देता हूँ ... किसी को काम देकर तो किसी को पढा लिखा कर...तुम भी पढा करो ..... ओर क्या बताया रे उसने माॅ ने रोकते हुए कहा ... ओर बहुत लम्बी कहानी है माॅ उसकी फिर बाद में बताऊंगा अभी मै पढ लेता हूँ ...उसने कहा था समय से पढा करो तुम बच्चो की वज़ह से मुझे क्या क्या सुनना पङता है ....