दोस्ती में रंजिश वो कुछ ऐसे निभा गये। मरने से पहले वो हमारी मैयत सजा गये। ये मुहब्बत नहीं, ये इक साजिश थी उनकी, हमारी मौत से पहले, ये हमें वो बता गये। बेवफ़ा इश्क़ में उनके दूरियाँ तो लाज़मी थी, भरी महफ़िल में ये बात, हमें वो समझा गये। झूठ फरेब पर उनके ये दिल हँसता है आज, थे कितने नादाँ हम, जो अपनों से ही दगा गये। हमने 'गीत' ग़ज़लों में उन्हें बेवफा क्या कहा, छोड़ के सच्चा रिश्ता वो गैरों से इश्क़ जता गया। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #ग़ज़ल_सृजन #WalkingInWoods