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उमीद नहीं थी दूर तक सुबह से आज जाने अब ये कैसे बरस

उमीद नहीं थी दूर तक सुबह से आज
जाने अब ये कैसे बरसात हो रही है
करम खुदाया है शायद, इस शहर में
बेमौसम उनसे मुलाक़ात हो रही है
चलते चलते, फिर मिलेंगे कह दिया उसने
लगता है नयी एक शुरुवात हो रही है
कल तक पत्थर थी ये आँखें मेरी अब
अचानक से साँसे ज़ज़्बात हो रही है
वो खत जला जो दिये थे कभी उसने
हर मुलाक़ात पर निगाहें कागज़ात हो रही है
जाने अब ये कैसे बरसात हो रही हैँ
बेमौसम उनसे मुलाक़ात हो रही है ईश्व हाय अल्लाह, mushkil bahut hai
उमीद नहीं थी दूर तक सुबह से आज
जाने अब ये कैसे बरसात हो रही है
करम खुदाया है शायद, इस शहर में
बेमौसम उनसे मुलाक़ात हो रही है
चलते चलते, फिर मिलेंगे कह दिया उसने
लगता है नयी एक शुरुवात हो रही है
कल तक पत्थर थी ये आँखें मेरी अब
अचानक से साँसे ज़ज़्बात हो रही है
वो खत जला जो दिये थे कभी उसने
हर मुलाक़ात पर निगाहें कागज़ात हो रही है
जाने अब ये कैसे बरसात हो रही हैँ
बेमौसम उनसे मुलाक़ात हो रही है ईश्व हाय अल्लाह, mushkil bahut hai
tarunmadhukar6794

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