जिगर का टुकड़ा कितना जिद्दी है ना तू कभी रूठता है ,कभी सताता है कभी जिंदगी के हंसीन पलो को भी यादों के सफर में लाता है,इन समुद्र की लहरों को भी अपना भुला बिसरा यार बनाता है इसी बात पर तू मेरा जिगर का टुकड़ा कहलाता तू। #jiger ka tukda