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शब्द निर्झर भाव निर्झर चोट करते झरते झर-झर मृदु हृ

शब्द निर्झर भाव निर्झर
चोट करते झरते झर-झर
मृदु हृदय के स्यान तल पर
वेगमय विप्लव निरन्तर
फूल खिलते वर्ण वर्णिम
अधर-कुंजों में निरन्तर
मौन होते समय के स्वर
नयन-घाटी में सहमकर
शून्य प्रसृत चेतना का
शून्य होना है भयंकर
भावना का रक्त होगा
खिला कहीं गुलाब बनकर
तुम ही कह दो आए कहाँ से
शूल साथ में विकसकर
रक्त का सा गन्ध होगा
और होगा हृदय चन्दन

 #toyouonly#tome#yqtime#,yqselfquest#yqpathos#yqcosmos
शब्द निर्झर भाव निर्झर
चोट करते झरते झर-झर
मृदु हृदय के स्यान तल पर
वेगमय विप्लव निरन्तर
फूल खिलते वर्ण वर्णिम
अधर-कुंजों में निरन्तर
मौन होते समय के स्वर
नयन-घाटी में सहमकर
शून्य प्रसृत चेतना का
शून्य होना है भयंकर
भावना का रक्त होगा
खिला कहीं गुलाब बनकर
तुम ही कह दो आए कहाँ से
शूल साथ में विकसकर
रक्त का सा गन्ध होगा
और होगा हृदय चन्दन

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