दुनियाँ मे सबकुछ मिल जाता है, बस वही नही मिलता जिससे मोहब्बत होती है | जी चाहता है - जुबाँ पर जब प्यार प्यार लफ्ज का नाम आता है , तो उन्हे याद कर उन्ही मे ही डूब जाने को जी चाहता है | दिल सोचता है कि काश वो आज हमारे पास होते, चाहे -अनचाहे वो कितने खास होते ? पर आज उन साथ बिताये हुए पलों को याद कर, उन्ही मे ही खो जाने को जी चाहता है | कितनी हसरत है आज भी उन्हे साँसो मे बसाने को , कहते हैं प्यार का जख्म बहुत गहरा होता है, पर आज उसी में ही गोता लगाने को जी चाहता है | हम आज भी अपने आप को न्योछावर कर दें, बस एक बार वो अपने जुबाँ पर हमारा नाम ले आये, बस इसी आस पर जी रहे है हम, कब वो अपने होंठो पर हमारे नाम की कली खिला दें , कब वो हमे अपना बना अपनी आंखो से प्यार का इक जाम पिला दें, आज भी उनकी याद मे आंखे बरसती हुई, उन्ही मे ही डूब जाने को जी चाहता है | - दुर्गेश बहादुर प्रजापति जी चाहता है...