कदमों की आहट तो हर रोज सुनाई देती है मेरी गली में
इंतजार तो अब तुम्हारी पायलों की छनछनाहट का है
शराब का ख्याल तो हर रोज आता है मुझे तन्हाई में
इंतजार तो अब तुम्हारी हाथ की बनी चाय का है।
-बैरागी
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