खुद पर नाराजगी कब तक होतीं हैं ये तो मैने तुझसे सीखा हैं गलतियों का हिसाब करना भी तुझसे ही सीखा हैं रुठ जाता हुँ हमेशा तेरे से इसकदर क्यूंकि फुसलाने का अरसा अभी भी जारी हैं हां परेशान तो में खुद से भी हूँ लेकिन जीने का मज़ा तो तेरे साथ ही हैं फरेब नही है अपनी दोस्ती में जो हर दफा जताना पड़े कभी तुम मूठ लिया करो कभी में मूठ जाऊ हाँ माना कि अब इतनी गुफ़्तगू नहीं होतीं अपनी इन्हें फासले मत समझ बैठ जाना किस्से अभी भी जारी हैं मेरे दोस्त तुम गलती से भी कहानियां मत लिख जाना....... by-Pawan bhargav teri meri dosti..