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हालत बत्तर है मेरे तयखाने की अब हिम्मत नहीं है मुझ

हालत बत्तर है मेरे तयखाने की
अब हिम्मत नहीं है मुझमें उसको सजाने की

तेरे हुलिए पर यहां सब हस्ते हैं
हद होती है (शीरा ) आंसू बहाने  की

अब दवाइयों से आती है नींद यारों
रस्में खत्म हुई थपथपा कर सुलाने की

मरने के बाद ही आते हैं यहां सब
यही तो रीत है बस इस ज़माने की

ये जो मैं उसको देखकर हस्ता हूं
बस कोशिश ही करता हूं गम छुपाने की

एक मौत ही है जो खत्म कर सकती है
ये मेरी बीमारी उसको सिद्दत से चाहने की

यकीं मानों मैं बहुत थक गया हूं
ये आखरी कोशिश है मेरी उसको मनाने की

©Sheera Singh #covidindia कोशिश
हालत बत्तर है मेरे तयखाने की
अब हिम्मत नहीं है मुझमें उसको सजाने की

तेरे हुलिए पर यहां सब हस्ते हैं
हद होती है (शीरा ) आंसू बहाने  की

अब दवाइयों से आती है नींद यारों
रस्में खत्म हुई थपथपा कर सुलाने की

मरने के बाद ही आते हैं यहां सब
यही तो रीत है बस इस ज़माने की

ये जो मैं उसको देखकर हस्ता हूं
बस कोशिश ही करता हूं गम छुपाने की

एक मौत ही है जो खत्म कर सकती है
ये मेरी बीमारी उसको सिद्दत से चाहने की

यकीं मानों मैं बहुत थक गया हूं
ये आखरी कोशिश है मेरी उसको मनाने की

©Sheera Singh #covidindia कोशिश
sheerasinghoffic1334

Sheera Singh

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