Nojoto: Largest Storytelling Platform

गुमशुदा सा हूँ आजकल मैं, मिलते नहीं मुझमें मेरे नि

गुमशुदा सा हूँ आजकल मैं,
मिलते नहीं मुझमें मेरे निशां।
खोया रहता हूँ मैं रातभर,
कहीं ख्वाबों की टोह लेने को।
मिलता नहीं कोई सिरा ख्वाबों,
इंतेहा हो जाए अब बस।
जिया नहीं जाता है उसके ख्वाबों के साथ,
जो कभी लौट कर नहीं आएंगे। गुमशुदा
गुमशुदा सा हूँ आजकल मैं,
मिलते नहीं मुझमें मेरे निशां।
खोया रहता हूँ मैं रातभर,
कहीं ख्वाबों की टोह लेने को।
मिलता नहीं कोई सिरा ख्वाबों,
इंतेहा हो जाए अब बस।
जिया नहीं जाता है उसके ख्वाबों के साथ,
जो कभी लौट कर नहीं आएंगे। गुमशुदा
rahispoem3119

rahi_poems

New Creator