बड़ी बेखौफ लगती हो बड़ी बेताब लगती हो, यूं दौलत के पीछे बड़ी बेहिसाब रहती हो, समंदर से भी गहरा तेरी झोली का ये दामन, जिसमें नोटों और सिक्कों को बेहिसाब रखती हो, मोहब्बत की हो प्यासी मोहब्बत तुम मांगती हो, दौलत के आगे तुम किसी को ना जानती हो, इतनी हसरतें दिल में क्यों पाल बैठी हो, यूं दौलत के पीछे बड़ी बेहिसाब रहती हो...! शब्द तीखे स्वरों से तुम बोल बैठोगी, अनर्थो से अर्थ को लेकर तुम ताल ठोकोगी, कौन ऐसे माहौल में तुमसे दो शब्द बोलेगा, जब तुम किसी की बात को न समझोगी, फिर जन्नत सी इस दुनियां में सम्मान चाहती हो, यूं दौलत के पीछे बड़ी बेहिसाब...........! यूं दौलत के पीछे बड़ी बेहिसाब.........!