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मेरे कसबा में मंडी के आत्मा से देखो तो सुनिश्चित आ

मेरे कसबा में
मंडी के आत्मा से देखो तो
सुनिश्चित आश से सम्बोधन
बाज़ार!
दूर गाँव की जिजीविषा
प्रतिदान की सभ्यता 
कुकुरमुत्ता शैली की दुकान
हर ग्राहक वैश्य।
पतरचट पर रख्खी मालभोग केला
एक घौर, छितराया हुआ
बच्चों से बहलाया हुआ
उसी चट्टी पर आँचल भर मिर्च
छटाक भर सोंठ
भरोसे की भेंट।
आगे एक मेमना
अनहोनी की पूर्वाग्रह में निढ़ाल
अब उसका चरवाहा बकरी नहीं पालेगा
मेमना ने जो घास का मूल्य चुकाया,उसे ले
अपने खून को धीरज में समेट
दो कोस की पग यात्रा
धीरज को शक्ति देने
कल्याण के द्वार।
साइकिलों में कुछ मोटर साईकिल
खटकते हुए
उस पर ढोंग की सवारी
काज से बढ़ा भटकाव
हलवाई के मुँह बोले जवांई
पान,ठंडे के मक्खी।
सिनेमा घर
नव दम्पति के सौगंध-वचन
नया सिंगार,नई वय
'इंसाफ हो के रहेगा'की लय
मध्यांतर में सब साथी है
पिक्चर अभी बाकी है! भारत गांवों का देश...
सुदूर गांवों के प्रमंडल में एक पुरानी मंडी,'मुरलीगंज' एक जीवन रेखा!!

मेरे कसबा में
मंडी के आत्मा से देखो तो
सुनिश्चित आश से सम्बोधन
बाज़ार!
दूर गाँव की जिजीविषा
मेरे कसबा में
मंडी के आत्मा से देखो तो
सुनिश्चित आश से सम्बोधन
बाज़ार!
दूर गाँव की जिजीविषा
प्रतिदान की सभ्यता 
कुकुरमुत्ता शैली की दुकान
हर ग्राहक वैश्य।
पतरचट पर रख्खी मालभोग केला
एक घौर, छितराया हुआ
बच्चों से बहलाया हुआ
उसी चट्टी पर आँचल भर मिर्च
छटाक भर सोंठ
भरोसे की भेंट।
आगे एक मेमना
अनहोनी की पूर्वाग्रह में निढ़ाल
अब उसका चरवाहा बकरी नहीं पालेगा
मेमना ने जो घास का मूल्य चुकाया,उसे ले
अपने खून को धीरज में समेट
दो कोस की पग यात्रा
धीरज को शक्ति देने
कल्याण के द्वार।
साइकिलों में कुछ मोटर साईकिल
खटकते हुए
उस पर ढोंग की सवारी
काज से बढ़ा भटकाव
हलवाई के मुँह बोले जवांई
पान,ठंडे के मक्खी।
सिनेमा घर
नव दम्पति के सौगंध-वचन
नया सिंगार,नई वय
'इंसाफ हो के रहेगा'की लय
मध्यांतर में सब साथी है
पिक्चर अभी बाकी है! भारत गांवों का देश...
सुदूर गांवों के प्रमंडल में एक पुरानी मंडी,'मुरलीगंज' एक जीवन रेखा!!

मेरे कसबा में
मंडी के आत्मा से देखो तो
सुनिश्चित आश से सम्बोधन
बाज़ार!
दूर गाँव की जिजीविषा