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साया तेरे रूह का मेरे रूह मे समा रहा है, वो सुर्ख

साया तेरे रूह का मेरे रूह मे समा रहा है,
वो सुर्ख बादलों सा, मेरी ज़मीं पर छा रहा है 
आजज़ी,तमन्ना,खुशामदें बहुत की मैने वक्त से
मगर वो वक्त है कि, वक्त बनके बीता जा रहा है 
गम-ए-अलविदा का दर्द भी बयां करुँ कैसे
उसकी जिंदगी का हर एक कतरा तड़पा रहा है 
अरे, शौक से गवाँ दूं अपनी जिंदगी इसी दर पर
गर खबर कर दे कि वो मुझसे मिलने आ रहा है।

©zarri farha #साया जिंदगी का।।।
साया तेरे रूह का मेरे रूह मे समा रहा है,
वो सुर्ख बादलों सा, मेरी ज़मीं पर छा रहा है 
आजज़ी,तमन्ना,खुशामदें बहुत की मैने वक्त से
मगर वो वक्त है कि, वक्त बनके बीता जा रहा है 
गम-ए-अलविदा का दर्द भी बयां करुँ कैसे
उसकी जिंदगी का हर एक कतरा तड़पा रहा है 
अरे, शौक से गवाँ दूं अपनी जिंदगी इसी दर पर
गर खबर कर दे कि वो मुझसे मिलने आ रहा है।

©zarri farha #साया जिंदगी का।।।
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