छोटी सी वो चिड़िया था बांध जिसे पिंजरे में दिया बचपन जिसका गुड़िया से दूर कर दिया बांध दिया जिसे ऐसे संसार में जानती नही जिसे वो अभी अपने हाल में उमर थी मौज मस्ती की बचपन की आज उसे सात फेरों में बांध दिया नही जानती थी वो मां बाप ने उसका बचपन बेच दिया बना बालिका वधु आज उसका सुंदर संसार उससे लील लिया हाए रे बेटी तेरी विडंबना तेरा भाग्य आज तुझसे ही छीन लिया बन गई आज तू बालिका वधु भर मांग में सिंदूर हाथों में पहन चूड़ियां और पैरों में पायल बिछिया इस समाज ने आज एक बच्ची का भविष्य बना बालिका वधु यूं बर्बाद कर दिया कहां बनती वो कल्पना चावला या पी टी उषा रचाती इतिहास अपनी उड़ान से हाए रे शर्म आती है मुझे अपने समाज पर ©aditi jain #बालविवाह #दर्द ꂦJꀍꍏL (ओझल ) Irfan Saeed Bulandshari