#ख़्वाब आँखें गहरी हैं आसमान पार करना है ख़्वाब बहुत देखती हूँ हर रोज़ बुनती हूँ कुछ पकड़ लेती हूँ कुछ तोड़ दिए जाते हैं कुछ छोड़ देती हूँ संगसार हूँ फिर भी पाँव हैं मुसलसल अनजान नयी डगर पर सक़त नहीं है जानती हूँ ख़ुदी पे भरोसा है कभी सजदे में हूँ कभी हाथ उठे हैं तकमील को सोचकर सोचती हूँ कभी आ़फ़ियत बन गए अक्सर सज़ा हो गए ज़हन पे जिन्हें लिखती हूँ कुछ पूरे हो गये कुछ अधूरे रह गए थमता नहीं है सिलसिला चलता रहेगा तमाम उम्र क्यूँकि इक मिसाल ए ख़्वाब है जिंदगी || ©ArmaaN Sahani #lost