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कुछ गहरे अल्फ़ाज़:- "ऐतबार क्या कीजिए? दर्द-ऐ-दिल क

कुछ गहरे अल्फ़ाज़:-

"ऐतबार क्या कीजिए?
दर्द-ऐ-दिल के हाल पे,
मलाल क्या कीजिए?

जिस्म के तलबगार है,
यहाँ हर मोहसिन,
जज़्बात तो किरायदार है,
हर जगह पैसों पे उतरते लिबाज़ है,

©ALFAZ DIL SE #DrDanQuote 

#She_and_Society
कुछ गहरे अल्फ़ाज़:-

"ऐतबार क्या कीजिए?
दर्द-ऐ-दिल के हाल पे,
मलाल क्या कीजिए?

जिस्म के तलबगार है,
यहाँ हर मोहसिन,
जज़्बात तो किरायदार है,
हर जगह पैसों पे उतरते लिबाज़ है,

©ALFAZ DIL SE #DrDanQuote 

#She_and_Society
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