दिल को बहलाने की तरकीब निकाली जाए! दूर सय्यारों पे दुनिया नयी देखी जाए। ख़्वाब रातों से छुपाकर कहीं रख दूं अपने, नींद आंखों की किसी और को बेंची जाए! अब चलो यूं भी करें एक तिजारत रब से, किसी मज़लूम को अपनी ख़ुशी दे दी जाए! जाने कब होगी सहर, होगा उजाला फिर से! रोशनी अपने ख़यालों से ही कर ली जाए! मैं सर-ए-दश्त फिरूं और पस-ए-पर्दा है वो! है कोई राह जो उसकी तरफ़ सीधी जाए? ये हुआ वो न हुआ, काश ये हो जाता अगर! ज़िन्दगी बस युंही पछतावे में बीती जाए। #Yqaliem #khwaab #nind #saher #Sar_e_dasht #pas_e_parda #Kaash #Yehua_wonahua_zindgi सर-ए-दश्त - In Forest पस-ए-पर्दा - behind the veil