उसे तो खामोशी भी महसूस नहीं होती न जाने वो इश्क कैसे करती होगी सीने में कुछ तो दर्द छिपा होगा वो आहटों से भी छिपती होगी। बहक न जाए लौ की नीयत वो रोशनी से भी डरती होगी बातें न हों उसके मतलब की वो मतलब भी बदलती होगी कम होती है उम्र मोहब्त की वो दोस्ती पे रूकती होगी उसे तो खामोशी भी महसूस नहीं होती न जाने वो इश्क कैसे करती होगी... डर लगता है अपने घर में #डरलगताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi