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बुराईया ही बुराईया थी मुझमे सिमटी हुई, अपने ही माय

बुराईया ही बुराईया थी मुझमे सिमटी हुई,
अपने ही मायाजाल मे फंस चुकी थी मै,
इतनी अय्यासी इतनी बदचलन हो चुकी थी मै
लगता था गटर मे धंस चुकी थी मै..
क्या करती जब संभालने वाला कोई नही..!!

©Shreehari Adhikari369
  #Doob रही थी मै
shreehariadhikar2146

HARSHIT369

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#Doob रही थी मै #कविता

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