Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक पल जब अभिमान जगें..... एक चोट से धूमिल हो जाये

एक पल जब अभिमान जगें.....
एक चोट से धूमिल हो जाये .....

एक दर्द उठे जब भीतर से  .....
अपमान की अग्नि बढ़ जाये ....
एक पल जब अभिमान जगें.....
एक चोट से धूमिल हो जाये .....

एक दर्द उठे जब भीतर से  .....
अपमान की अग्नि बढ़ जाये ....