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तुम पास मेरे बैठो तो जरा , मै दिल की सुनाऊँ दास्ता

तुम पास मेरे बैठो तो जरा ,
मै दिल की सुनाऊँ दास्ता
हम जिस्म जाँ से एक है,
क्यूँ रहे नज़र का भी फासला...


( शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़े...)
 तुम पास मेरे बैठो तो जरा ,
मै दिल की सुनाऊँ दास्ता
हम जिस्म जाँ से एक है,
क्यूँ रहे नज़र का भी फासला ।

बहके हुए है क़दम मेरे, 
बहकी हुई सी है ये हवा
तू खामोश दिल की जुबान है,
तुम पास मेरे बैठो तो जरा ,
मै दिल की सुनाऊँ दास्ता
हम जिस्म जाँ से एक है,
क्यूँ रहे नज़र का भी फासला...


( शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़े...)
 तुम पास मेरे बैठो तो जरा ,
मै दिल की सुनाऊँ दास्ता
हम जिस्म जाँ से एक है,
क्यूँ रहे नज़र का भी फासला ।

बहके हुए है क़दम मेरे, 
बहकी हुई सी है ये हवा
तू खामोश दिल की जुबान है,