नहीं चाहिए मुझे आज़ादी, मुझे फिर से गुलाम बना दो, मेरे गले में, हाथों पैरों में, गुलामी की बेड़ियां पहना दो, अपने ही देश में हो के भी, मैं देश के लिए बहारी हूं, किसी के लिए मल्लू,गुज्जू, बोंग, भईया,बिहारी हूं, क्या करुंगा इस आजादी का, जहां देश विरोधी नारे लगे, जहां दिल से नहीं, भय के कारण, जय हिन्द के नारे लगे, अरे वह तो थे पागल जो, धर्म जाति प्रांत से परे रहे, इन संकुचित सोच वालों के लिए, आज़ादी की बलि चढ़े, इल्म होता गर भगत, सुभाष आज़ाद को, की एक दिन ऐसा आयेगा, देश हित के लिए फिर कोई, क्यूं अपनी जान गंवाएगा, जहां अपने देश में होके भी, लोग हमें अपना नहीं समझते हैं, सच है जो चंद जयचंदों के कारण, लोग सच्ची आज़ादी को तरसते हैं Abhishekism 💕 #Abhishekism #poem #poetry #poet #poems #nojoto #Azaadi