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परिवर्तन क्या शिकायत करूँ किसी से मैं अब, मैंने अ

परिवर्तन
क्या शिकायत करूँ किसी से मैं अब, 
मैंने अपनो को परायो में बदलते देखा है। 

जो कदम भी एक साथ रखते थे कभी, 
उनको भी विपरीत राहों पर चलते देखा है। 

साथ चलने का वादा करके लोगो को, 
जरूरत के वक़्त साथ छोड़ते देखा है। 

सामने जो शुभचिंतक बनते हैं किसीके, 
उसीकि सफलता से उनको जलते देखा है। 

वो लोग क्या समझेंगे पीड़ा को मेरी, 
जिनको किसीके रुदन पर हँसते देखा है। 

परिवर्तन को फिर प्रकृति का नियम कहकर, 
बहाने से स्थिरता को भी बदलते देखा है।  
©Deepali Singh ❣ #parivartan
परिवर्तन
क्या शिकायत करूँ किसी से मैं अब, 
मैंने अपनो को परायो में बदलते देखा है। 

जो कदम भी एक साथ रखते थे कभी, 
उनको भी विपरीत राहों पर चलते देखा है। 

साथ चलने का वादा करके लोगो को, 
जरूरत के वक़्त साथ छोड़ते देखा है। 

सामने जो शुभचिंतक बनते हैं किसीके, 
उसीकि सफलता से उनको जलते देखा है। 

वो लोग क्या समझेंगे पीड़ा को मेरी, 
जिनको किसीके रुदन पर हँसते देखा है। 

परिवर्तन को फिर प्रकृति का नियम कहकर, 
बहाने से स्थिरता को भी बदलते देखा है।  
©Deepali Singh ❣ #parivartan