नाराजगी उस शख़्स से मेरी कलम पर आ गई। चाहत मेरी और बेवफाई उसकी इस कदर छा गई। की लिखता हु कुछ भी हंसाने के लिए जमाने को। फिर से आंखे मेरी कोरे पन्नो को भीगा गईं।। कलम मेरा सहारा होकर भी बेबस रही। उस बेवफा की याद क्या आ गई। लिख ना सकी दिल के अरमा मेरे भीगे पन्नो पर।। जो मेरी उंगलियां भी आज कपकपा गई।। जो नाराजगी उस शख्स से मेरी कलम पर आ गई।। ©Kamu @Cute Shayar बंधन लेखक का कलम से। #WritersSpecial