#FourlinePoetry जलकर बस राख बन जाऊंगा। इतनी तपन कैसे सह पाऊंगा।। लगन ऐसी है फिर भी हार नहीं मानूंगा। तपकर एक दिन कुन्दन बन जाऊंगा।। ©Yogendra Nath #fourlinepoetry#तपन