मोहब्बत की गलियों को अब पीछे छोड़ आए है मौत से अपना दामन जोड़ आय है वो हमसे हमारी फिक्र की बात करती है उसे नही पता शायद हम उसकी बेफिक्री का राज़ कहि और से जान आय है - - ---भरत