Tunnel पाठशाला तो इक बहाना था .... (4) आया फिर इक दिन एक तूफां सा, जो उड़ाकर के ले गया उसको । मैं यहाँ तन्हा देखता ही रहा , वो चली गई जहाँ पे जाना था । यार सारे के सारे रोने लगे , हाले-दिल इनको न सुनाना था । अश्क तुझको भी आये यादों के, "धर्म" बेहतर था भूल जाना था । @धर्मेन्द्र'आज़ाद' #येतोहोनीथीजिसकोहोनाथा