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अपने बच्चे हर वक़्त धमाचौकड़ी और अपनी हर ज़ायज़ ना

 अपने बच्चे  

हर वक़्त धमाचौकड़ी और 
अपनी हर ज़ायज़ नाज़ायज़ 
ज़िद को पूरा करवाते बच्चों के बीच 
उस घर में दो बुज़ुर्ग भी रहते हैं
सहमे सहमे  
---- रविकान्त राऊत
 अपने बच्चे  

हर वक़्त धमाचौकड़ी और 
अपनी हर ज़ायज़ नाज़ायज़ 
ज़िद को पूरा करवाते बच्चों के बीच 
उस घर में दो बुज़ुर्ग भी रहते हैं
सहमे सहमे  
---- रविकान्त राऊत

अपने बच्चे हर वक़्त धमाचौकड़ी और अपनी हर ज़ायज़ नाज़ायज़ ज़िद को पूरा करवाते बच्चों के बीच उस घर में दो बुज़ुर्ग भी रहते हैं सहमे सहमे ---- रविकान्त राऊत #Ravikant #Raut #एकपंक्तिकथा