अपने बच्चे हर वक़्त धमाचौकड़ी और अपनी हर ज़ायज़ नाज़ायज़ ज़िद को पूरा करवाते बच्चों के बीच उस घर में दो बुज़ुर्ग भी रहते हैं सहमे सहमे ---- रविकान्त राऊत