अबतो दया करो कुछ बादल नभ से थल तक है जल ही जल ! : मिट्टी के घर धसक रहे हैं पत्थर के दिल दरक रहे हैं सह में बच्चे सिसक रहे हैं अपनी मां से चिपक रहे हैं घर में बाकी दाल न चावल ! अब तो ...... : खतरे के निशान के ऊपर नदी बहरही सागर बनकर डूबी फसलें राह खेत घर आधा डूबा बूढ़ा पीपल ! अबतो दया... 💕🍨🍨🍧🍧💕💕☕☕☕☕good morning ji☕☕☕#बाढ़☕🙏🍧 ☕#पीड़ा☕🍨👴#भूंख💕👴☕👨🍉#दया :💕🙏🙏🙏🍨🙏 टूटी जामुन आम की शाख़ें आशाओं की भीगी आंखे घायल 'पंछी' बोझिल पाँखें गाय रम्हाये बछड़ा काँखे मंद हुई जीवन की हलचल !