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इश्क़ हीं तो था वरना आशिकी से समझौता कौन करता है...

इश्क़ हीं तो था वरना आशिकी से समझौता कौन करता है... 
रात के नींद से बगावत कर ख़्वाबों से गुफ़्तगू कौन करता है... 
चाहत थी चमकते  सितारों को कंधे पर सजाने की वरना, 
तन्हाई से मुहब्बत कर बेवफाई का इलज़ाम कौन सहता है... 




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इश्क़ हीं तो था वरना आशिकी से समझौता कौन करता है... 
रात के नींद से बगावत कर ख़्वाबों से गुफ़्तगू कौन करता है... 
चाहत थी चमकते  सितारों को कंधे पर सजाने की वरना, 
तन्हाई से मुहब्बत कर बेवफाई का इलज़ाम कौन सहता है... 




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