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जब तक सांस रहेगी सीने में तब तक सबसे ज्यादा अपने

जब तक सांस रहेगी सीने में तब तक
 सबसे ज्यादा अपने रुलाते हैं 
क्या रीत है जग की मरने के बाद भी
रो रोकर अपने ही बुलाते हैं 
सकूँ दे जाते हैं अपनों से ज्यादा
जब गैर अर्थी को कंधा दे जाते हैं,
किसको इल्ज़ाम देना प्रीत पागल लगा
थोड़ा और कश जिन्दगी का कोई चाहे
ना चाहे एक मौत अपनी चल उसे गले लगाते हैं,,,
😢

©Teरa PरeeT Saकshi #Mout Anshu writer unfinished_sentenc11 Mukesh Poonia Jagsir Singh Brijesh Gupta
जब तक सांस रहेगी सीने में तब तक
 सबसे ज्यादा अपने रुलाते हैं 
क्या रीत है जग की मरने के बाद भी
रो रोकर अपने ही बुलाते हैं 
सकूँ दे जाते हैं अपनों से ज्यादा
जब गैर अर्थी को कंधा दे जाते हैं,
किसको इल्ज़ाम देना प्रीत पागल लगा
थोड़ा और कश जिन्दगी का कोई चाहे
ना चाहे एक मौत अपनी चल उसे गले लगाते हैं,,,
😢

©Teरa PरeeT Saकshi #Mout Anshu writer unfinished_sentenc11 Mukesh Poonia Jagsir Singh Brijesh Gupta