है कैसा ये बुदबुदा पानी का, लहरें जहां अविचल सी लगे, कुछ मांगें, कुछ सपने कुछ अपने बने बिगड़े फिर बने जैसे धधकती सी बूंदे हों एहसास बनाये लोग मिलाये, किस्से बने किताबें के पन्ने हों शायद भूल ही हो इस भूलभुलैया की दिल चले जहां आग की अगन लगाए । दिल की भूल भुलैया... #भूलभुलैया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi