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माँ.. रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं अपने में ह

माँ..

रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं 
अपने में ही ढल रही हू मैं
सुबह रोज जल्दी उठ कर अब तो योग भी करने लगी हू मैं,
हल्दी वाला दूध भी पीने लगी हू मैं
रोज थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..

तुमको मन मे रख के कि तुम होती तो कैसा करती सब कुछ वैसा ही करने लगी हू मैं
आत्मनिर्भर बन गयी हू मैं 
सब्ज़ी के भाओ भी लगा लेती हू मैं
रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..

मन हो जाता है उदास जब सुनती हू 
किसी को फोन पे मम्मी मम्मी करते हुए
हाँ 'माँ'तब तुम बहुत आती हो याद,
जैसा बोला था सब कुछ वैसा ही करने लगी हूँ मैं
अब तो रोटी भी बना लेती हूँ मैं
रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..। Letter for my maa in heaven which i wrote after one year of my marriage on d occasion of mother's day! ❤ 
#LetterOnline
माँ..

रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं 
अपने में ही ढल रही हू मैं
सुबह रोज जल्दी उठ कर अब तो योग भी करने लगी हू मैं,
हल्दी वाला दूध भी पीने लगी हू मैं
रोज थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..

तुमको मन मे रख के कि तुम होती तो कैसा करती सब कुछ वैसा ही करने लगी हू मैं
आत्मनिर्भर बन गयी हू मैं 
सब्ज़ी के भाओ भी लगा लेती हू मैं
रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..

मन हो जाता है उदास जब सुनती हू 
किसी को फोन पे मम्मी मम्मी करते हुए
हाँ 'माँ'तब तुम बहुत आती हो याद,
जैसा बोला था सब कुछ वैसा ही करने लगी हूँ मैं
अब तो रोटी भी बना लेती हूँ मैं
रोज़ थोड़ा थोड़ा बदल रही हू मैं..। Letter for my maa in heaven which i wrote after one year of my marriage on d occasion of mother's day! ❤ 
#LetterOnline

Letter for my maa in heaven which i wrote after one year of my marriage on d occasion of mother's day! ❤ #LetterOnline