कभी खुद को, काले घुप्प अंधेरे के, काले साए से घिरा पाती हूं, कभी इंद्रधनुषी रंगो के , ख्वाबों ख्यालों में भी खुद को, बस तन्हा पाती हूं, जीवन के इस होली में, न जाने और कितने रंग भरे हैं? जिसे मलते हुए बस जीये जा रही हूं। सफेदी की एक बेरंग चादर ओढ़े, खामोशी से बस!!! निशब्द!निशब्द!निशब्द! और बस निशब्द। ।।शुक्रिया।। ***बीना*** (28/032021) ************** ©BEENA TANTI #रंग #इंद्रधनुष #जीवन के रंग