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गिड़गिड़ाता रहा ************ वो कटोरा लिए,गिड़गिड़ाता

गिड़गिड़ाता रहा
************
वो कटोरा लिए,गिड़गिड़ाता रहा
वो बच्चे को चॉकलेट,खिलाती रही
वो बोनट पे सर को झुकाता रहा
वो दांत भींच,आंखे दिखती रही।

थी लाखों की गाड़ी में वो सज रही
वो भिखारी था भूखा भी कुछ कम नही
ट्रैफिक खुला,चल पड़ी वो झटक के
वो घसीटा गया,था उसे गम नही।

सबने रोका उसे,पर रुकी वो कहाँ
वो बच्चा था औंधे सड़क पर पड़ा
कुछ टुकड़े थे रोटी के बिखड़े पड़े
वो छाले सिमट कर बस सोता रहा।

भर दे ममता दिलों में वो दौलत कहाँ?
मिलती है गर कंही तो बताना मुझे
आज भूखे को खाने को है जख्म मिला
उसका कुत्ता सीने से लग हंसता रहा।


दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #geet #aawaz #poem#hindi #thought
गिड़गिड़ाता रहा
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वो कटोरा लिए,गिड़गिड़ाता रहा
वो बच्चे को चॉकलेट,खिलाती रही
वो बोनट पे सर को झुकाता रहा
वो दांत भींच,आंखे दिखती रही।

थी लाखों की गाड़ी में वो सज रही
वो भिखारी था भूखा भी कुछ कम नही
ट्रैफिक खुला,चल पड़ी वो झटक के
वो घसीटा गया,था उसे गम नही।

सबने रोका उसे,पर रुकी वो कहाँ
वो बच्चा था औंधे सड़क पर पड़ा
कुछ टुकड़े थे रोटी के बिखड़े पड़े
वो छाले सिमट कर बस सोता रहा।

भर दे ममता दिलों में वो दौलत कहाँ?
मिलती है गर कंही तो बताना मुझे
आज भूखे को खाने को है जख्म मिला
उसका कुत्ता सीने से लग हंसता रहा।


दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #geet #aawaz #poem#hindi #thought