बिखरे हुए मोतियों को लडियों में पिरो रही हूँ मैं क़दम दर क़दम लिखना सीख रही हूँ मौन थे ख़्यालों की परतों के भीतर जो भाव मेरे धीरे-धीरे उन्हें कोरे काग़ज़ पर उकेर रही हूँ कुछ अनकहे जज़्बात जो ना कभी किसी से कह पाई "अनाम" होकर जज़्बातों को एक नाम दे रही हूँ। Pta nhi kya likh diya😂 🎀 Challenge-261 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।