मेरे खातिर दुनिया की महफिल नहीं वहाँ पे मैं नहीं, जहाँ पे दिल नहीं इश्क सच्चा हो तो वो तमाशा क्यूँ बने दर्द ऐसा नुमाइश के काबिल नहीं आज की रात तू मेरे पहलू में नहीं चाँद से आज कुछ भी हासिल नहीं Veer Gurjar