तेरे चेहरे को पढूं और गज़ले लिखू मैं, नूर-ए आफ़ताब देखू और चाँद लिखू मैं... लगता नहीं कुछ भी मुनासिब मुझे अब, तेरे बगैर खुद को राख लिखू, ख़ाक लिखू मैं... . ©kabir pankaj #Kundan&Zoya #nojato #Poetry #Love #writer #writer