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तेरे चेहरे को पढूं और गज़ले लिखू मैं, नूर-ए आफ़ताब द

तेरे चेहरे को पढूं और गज़ले लिखू मैं,
नूर-ए आफ़ताब देखू और चाँद लिखू मैं...

लगता नहीं कुछ भी मुनासिब मुझे अब,
तेरे बगैर खुद को राख लिखू, ख़ाक लिखू मैं...


.

©kabir pankaj #Kundan&Zoya #nojato #Poetry #Love #writer #writer
तेरे चेहरे को पढूं और गज़ले लिखू मैं,
नूर-ए आफ़ताब देखू और चाँद लिखू मैं...

लगता नहीं कुछ भी मुनासिब मुझे अब,
तेरे बगैर खुद को राख लिखू, ख़ाक लिखू मैं...


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©kabir pankaj #Kundan&Zoya #nojato #Poetry #Love #writer #writer
kabirpankaj5416

kabir pankaj

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