कवियित्री की कल्पना सी सूरत तेरी, आंखो से रूह में उतरती मूरत तेरी। नयनों से नूर बिखेर जो प्राणों में समाते, होंठो से मुस्कान बिखरे तो कयामत ढाते। ©Pragya Amrit छवि