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कवियित्री की कल्पना सी सूरत तेरी, आंखो से रूह में

कवियित्री की कल्पना सी सूरत तेरी,
आंखो से रूह में उतरती मूरत तेरी।
नयनों से नूर बिखेर जो प्राणों में समाते,
होंठो से मुस्कान बिखरे तो कयामत ढाते।

©Pragya Amrit छवि
कवियित्री की कल्पना सी सूरत तेरी,
आंखो से रूह में उतरती मूरत तेरी।
नयनों से नूर बिखेर जो प्राणों में समाते,
होंठो से मुस्कान बिखरे तो कयामत ढाते।

©Pragya Amrit छवि
pragyaamrit3519

Pragya Amrit

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