प्रकृति की गोद में चमन के फूल चलो चमन के फूल बने हम। लगन लगा करें कुछ ऐसा, मान वतन का हो न कभी कम। व्यभिचार की जड़ें काट हम, अनवरत रखें मन पर संयम। सृष्टि के सौंदर्य रूप को, सींचा करे मिल हम सब हरदम। कोई दुविधा आए राष्ट्र पर, साथ रहे हम कदम-दर-कदम। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बैर भाव से दूर रहे मन। जो सरहद आए रिपु शातिर, टूट पड़े उस पर तत्क्षण हम। मृत्युंजय राष्ट्र के चरणों में, ध्यान मगन रहे सदा अंर्तमन। ©Tarakeshwar Dubey चमन #AdhureVakya