Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक अरसा बीत गया इंतजार का, हर लम्हा बीत गया ,मेरे

एक अरसा बीत गया इंतजार का,
हर लम्हा बीत गया ,मेरे प्यार का

प्यार जानें क्यों, ख्वाबों में ही सिमट
गया,मेरे प्यार का दम जानें क्यों, दिल 

में ही घुट गया , मजबूरी कहूं या कहूं
उसकी बेवफाई, उसे क्या मालूम की

कैसी आग उसने लगाई,जल उठा
मेरा सब कुछ,पर उसे जरा भी तरस

न आया, छोड़ मेरा दामन बीच राह में,
वो जो चल दिए, मेरे बसे जहां को बीरां

किए, गुलज़ार उनका अब शायद कोई
मकां भी होगा,जिसकी बुनियाद में

कोई शख्स आज  भी दबा होगा एक
अरसा बीत गया इन्तजार का.....

©पथिक..
  #intjar