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इन बुझे हुए दिलों के हालातों पर तरस आता है। समझ रह

इन बुझे हुए दिलों के हालातों पर तरस आता है।
समझ रहें पर नासमझ बातों पर तरस आता है।।

पैगाम ए ख़त मोहब्बत से कितने भेजें उनको, 
बेफिक्र ज़हन के जज्बातों पर तरस आता है।

खै़र-म़क्दम जो करते रहे हम उनका इश्क़ में,
बिगड़ी हुई तस्वीर की हरकतों पर तरस आता है।

राहें गफलत की साथ ना जाने कब तक चलेगी,
इश्क की बेबुनियाद कहावतों पर तरस आता है।

लिख डाली है कितनी ही तमन्नाएं ऐ "योगी",
बिखरते इश्क की आदतों पर तरस आता है।

©Yogendra Nath Yogi #तरस आता है#ghazal#Ishq me

#तरस आता हैghazalIshq me

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