किसी ने चांद सी सूरत दिखा के। दिवाना कर दिया है मुस्कुरा के। अंधेरी राह थी मेरे सफ़र की सजाए किसने ये दीपक जला के। कभी रक्खो क़दम मेरी तरफ़ भी मैं बैठी हूँ सनम पलकें बिछा के। कोई उतरा जो दिल की वादियों में दुआएं दे गए झोंके हवा के। शिकारा, झील, मौसम आशिक़ाना बुलंदी पर सितारे हैं वफ़ा के। बढ़े जब हौसले कुछ नाख़ुदा के किनारा छू लिया है डगमगा के। ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे तुझको जानम दुआ करती है 'मीरा' गुनगुना के। #शिकारा, झील, मौसम आशियाना😊