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माधव देख रमा हरषाई प्रेम, नयन में छुपे न छुपाई गौ


माधव देख रमा हरषाई
प्रेम, नयन में छुपे न छुपाई
गौरी से आ मिले चंद्रेश्वर
अद्धभुत बेला कैसी आयी।।

अहम, बस में तपस्वी रावण
निराकार, धनु को आम माना
बाए कर से इसे उठाऊ...
दशग्रीव अहम भर हुंकारा...

जहां श्रद्धा, बल न शोभे
भक्ति-भाव मे भगवान डोले..!!

©nonpoeticpoet
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