यू बदलने लगे हम आहिस्ता आहिस्ता तुम्हें भूलने की कोशिश कर रहे हैं आहिस्ता आहिस्ता सोचा नहीं था कभी तुम्हारे बगैर मंजिल तय करने का राह जरा मुश्किल है.. पर.. हम चलने लगे हैं आहिस्ता आहिस्ता बेचेनिया तड़पाती है, दूरियां रुलाती है दिन काटे कटता नही और ये रातें... ये रातें भी कम्बख्त तुम्हारी ही याद दिलाती है जिंदगी जीना तो भूल ही गए हम जिंदगी जीना तो भूल ही गए हम बस... सांसें ले रहे हैं आहिस्ता आहिस्ता..... यू बदलने लगे हम आहिस्ता आहिस्ता तुम्हे भूलने की कोशिश कर रहे हैं आहिस्ता आहिस्ता..... ©aashika sain आहिस्ता आहिस्ता