संदिग्ध हो चुके हो तुम, समरूप दैत्य!
भय और आक्रोश से भरी धूल
हां, विध्वनशक सा दर-दर गिरते हो
अरे किया क्या है तुमने केवल विध्वंस
जग का? नहीं स्वयं का!
आज पशु मोह से ग्रस्त हो तुम
मानो वही मानव हो
और मानव- हां दयामय पशु! #Death#Human#yqbaba#yqdidi#globalwarming#ग्लोबलवार्मिंग#humancommunity