अंतर्मन के ज्ञान चक्षु खोल कर, सत्य-असत्य खुद ही चुनना है। पाप- पुण्य की पहचान करके, अपने पापों को खुद ही धोना है। जीवन से द्देष- वैमनस्य को मिटाकर, प्रेम के अमृत से भरना है। अपने स्वार्थों को भूलकर, जीवन में परमार्थ की राह चलना है। आत्मविश्वास जगा कर, दिल में अपनी मंजिल की ओर बढ़ना है। भाग्य भरोसे ना बैठो तुम, जिद करके अपनी राह खुद बनाना है। #55Apnirah , 6 line , 11:50Am to 4 pm Topic- जिद करके अपनी राह खुद बनाना है नमस्कार साथियों आप सभी का आज की 6 पंक्तियों में होने वाली टेलीग्राम प्रतियोगिता में स्वागत है (Link in bio) नोट- शामिल होने की शर्तें-