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अश्क़ भर आए थे दूर जाते हुए, हम् बहुत घबराए थे दूर

अश्क़ भर आए थे दूर जाते हुए,
हम् बहुत घबराए थे दूर जाते हुए,
आंसुओं से भीग गए थे एक दूसरे के कंधे,
बहुत तिलमिलाये थे दूर जाते हुए,
खामोश थे लब पर बोलती थी आंखें,
हम कुश कह न पाए थे दूर जाते हुए,
हमारी झोली में भर दिया था तूने मजबूरियों का
पिटारा,
तुमसे वह तोहफा लेकर आए थे हम दूर जाते हुए

©Meharban Singh Josan
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