हा चुराते है अल्फाज़ गुलज़ार ग़ालिब के पर इससे हमारी काबिलियत पर शक मत करना क्योंकी... जिस दिन इस दिल ने अपना दर्द बयां कियाँ तो तुम्हारे शहर में अल्फाज़ो की बाढ़ आ जाएगी... काबिलियत