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ज़िन्दगी तू ने जहा से मुझे ठुकराया है जीने का हूनर

ज़िन्दगी तू ने जहा से मुझे ठुकराया है
जीने का हूनर मुझे वही से आया है

गम समझ कर जिसे छोड़ दिया था राहो में
मुफलिसी में आज वही मेरे काम आया है

जो उम्र भर मुझे अपना, मेरा अपना कहता रहा
आज बुरे वक्त में बहूत दूर नज़र आया है

चलते-चलते थक कर कदमो ने किया सवाल मुझ से
दिल में बसने वाले ने घर अपना कितनी दूर बसाया है

तुझे तनहा ही मंजिल पानी होगी मुसाफिर
क्या अपनों ने कभी साथ तेरा निभाया है...

©Aditya kumar prasad
  क्या अपनों ने कभी साथ तेरा निभाया है...

 Lalit Saxena Sethi Ji Niaz (Harf) Anshu writer PФФJД ЦDΞSHI

क्या अपनों ने कभी साथ तेरा निभाया है... @Lalit Saxena @Sethi Ji @Niaz (Harf) @Anshu writer @PФФJД ЦDΞSHI #Shayari

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